Wednesday, January 06, 2010

हिन्दी ब्लाग लेखकों के साथ यह धोखाधड़ी रोकनी होगी-आलेख (cheeting with hindi blogger-hindi blog)

आज समीरलाल जी से ने हिन्दी ब्लाग जगत से दूसरों की पोस्ट उठाकर अपने ब्लाग चमकाने वाले एक शातिर खिलाड़ी को पकड़ा। कहना चाहिये कि सात दिन से उसे पकड़ा है और उसे तब से टिप्पणियों के माध्यम से नोटिस भी पकड़ायें हैं। उसने हम दोनों की रचनाओं का जमकर उपयोग किया। एक जगह तो हिन्दी ब्लाग जगत की लेखिका संगीता पुरी जी ने उसे लिखा है भी है कि यह रचना कहीं पढ़ी हुई लग रही है।
आज समीरलाल जी ने हमारे दीपक बापू बहिन से उठाये गये पाठ की सूचना दी और हमने जाकर वह ब्लाग देखा।
New comment on your post #636 "ब्लाग लिखने में शेयर बाजार जैसा ही मजा-व्यंग्य आलेख"
Author : sameerlal (IP: 76.70.64.181 , bas2-oshawa95-1279672501.dsl.bell.ca)
E-mail : dupe-2-sameer.lal@gmail.com
URL : http://sameerlal.wordpress.com/
Whois : http://ws.arin.net/cgi-bin/whois.pl?queryinput=76.70.64.181
Comment:
दीपक भाई

आपका यह आलेख इस साइट पर बिना आपका संदर्भ दिये दिखा. आश्चर्य हुआ:

http://hindireader.blogspot.com/2008/10/blog-post_481.html
कृपया ध्यान दें. आपकी अन्य रचनाएँ भी वहाँ दिखाई पड़ रही हैं.

वाह क्या गजब किया है? हमारे पाठ उसने ऐसे सजायें हैं जैसे कि कोई भारी भरकम लेखक हो। हमने अपनी प्रतिक्रिया में उससे प्रति पाठ दो हजार मांगे हैं। हमने देखा है कि धमकी वगैरह की बात से लोग खौफ नहीं खाते जितना पैसे का दंड उनको सताता है। सच यह है कि हमारे एक कंप्यूटर विशेषज्ञ मित्र का कहना है कि आपको किसी का भी फोन नंबर उसके आई डी से पकड़ना है तो मुझे बताओ। वह टेलीफोन कंपनी से भी जुड़ा हुआ है।
पता नहीं लोगों को यह क्यों लगता है कि उनकी पकड़ कोई नहीं कर सकता जबकि उनको शायद मालुम नहीं है कि आजकल अपराध की जांच एजेंसियों का काम मोबाइल और कंप्यूटर से इसलिये कम हो गया है क्योंकि अपराधी इन्हीं चीजों का इस्तेमाल करते हैं।
हम झगड़ा नहीं करेंगे। गाली गलौच नहीं देंगे। सीधे कानून की शरण लेंगे, मय प्रमाण के। इस बारे में समीरलाल जी से चर्चा हुई है वह गूगल को शिकायत कर रहे हैं। जरूरत पड़ी तो हम भी करेंगे।
अरे, चेत जाओ मुफ्तखोरों! हमें यहां एक पैसा नहीं मिलता और न आशा करते हैं पर ऐसी हरकत हमें क्रोध दिलाती है। आप पूंछेंगे कि ज्ञानी होकर भी गुस्सा क्यों?
हम दृष्टा की तरह जीवन को देखते हैं। वह देहधारी जिसने हम आत्मा को धारण किया है उसे परिश्रम करते देख हम खुश होते हैं पर उसका कोई इस तरह दोहन करे तो क्रोध तो आयेगा ही न! भले ही हम आत्मा को धारण करने वाला चुप बैठा रहे पर हम उसकी उंगलियों को अगर रचना के लिये प्रेरित कर सकते हैं तो विध्वंस के लिये भी तैयार कर सकते हैं। वह हिंसा नहीं करेगा, गाली गलौच नहीं करेगा पर उसके साथ के लोग हैं जो ऐसे अवसर पर उसकी मदद करने को आयेंगे। इसलिये रास्ते दो ही हैं कि हर पाठ दो हजार भुगतान करो या ब्लाग से सारे पाठ हटा दो। अब नाम देने से भी कोई फायदा नहीं है। ऐसे दुष्टों से संगत भी कष्ट का कारण बनती है। बाकी लोग भी ऐसे लोगों से सतर्क रहें जो अंतर्जाल पर हिन्दी में नाम केवल दूसरों से धोखा कर चमकाना चाहते हैं।  अंतर्जाल पर लिखने में यही समस्या है कि कुछ लोग ब्लाग लेखकों को फालतु का आदमी समझकर उसके पाठों का इस तरह उपयोग करते हैं।
ऐसे लोगों से भी जूझना पड़ेगा तो फिर कौन हिन्दी में लिखने को तैयार होगा? सच तो यह है कि इस लेखक के अनेक मित्र इसलिये ही अंतर्जाल पर लिखने से कतराते हैं कि उनको चोरी का खतरा सताता है और हिन्दी अंतर्जाल पर लिखे जाने का यह भी एक कारण है। इससे निजात पाये बिना हिन्दी की अंतर्जाल पर पूर्णता से स्थापना एक कठिन काम होगा।
उस ब्लाग का पता यह है।
http://hindireader.blogspot.com

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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यह कविता/आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप की अभिव्यक्ति पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
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3 comments:

Udan Tashtari said...

मैने गुगल से पत्र व्यवहार शुरु कर दिया है. आप निश्चिंत रहें.

Unknown said...

सही कदम उठाया है आपने, ऐसे चोट्टे भरे पड़े हैं चारों तरफ़… इन्हें सबक सिखाना जरूरी हो गया है… मेरे एकाध-दो लेख पहले भी बड़े अखबारों ने बिना बताये चुरा लिये थे… जब शिकायत की तो कोई जवाब नहीं…। दीपक जी जब बड़े अखबार जो लाखों में कमाते हैं उनकी जेब से किसी लेखक को देने के लिये 1000 रुपये नहीं निकलते तो बाकियों का क्या कहा जाये…। चेतन भगत यूं ही नहीं आहत हुए हैं… निश्चित रूप से फ़िल्म वालों ने उनके साथ कोई न कोई दगाबाजी की होगी…

अविनाश वाचस्पति said...

एक सलाह
हम अच्छे लेख लिखना बन्द कर दे
तो वे चुराना बन्द कर देंगे
फिर किसी को टेंशन भी नही देंगे

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