Tuesday, August 28, 2012

बीमार समाज सेवक-हिंदी व्यंग्य कविता (bimar samaj sewas-hindi satire poem)

 समाज की हर बीमारी के इलाज का
दावा करते हैं वह लोग,
अस्पतालों के पीछे जाकर
छिपाते हैं जो अपने रोग।
कहें दीपक जिनकी देह
अपनी शक्ति से संभाली नहीं जाती
ज़माने भर की समस्याओं पर
उनकी ज्यादा ही नज़र जाती,
कोई चंदा कोई दान जुटा रहा,
 उनके इलाज का बोझ भी समाज ने सहा,
लाचार इंसानों के जज़्बातों से
खेलना कितना आसान हो गया है
उसमें उम्मीदों का झूठा जोश जगा रहे
फरिश्ता बने कुछ लोग,
जिनके तन और मन
बेबस हो गये हैं करते हुए भोग।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश

कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
यह कविता/आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप की अभिव्यक्ति पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
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Sunday, August 19, 2012

किसी ने ग़ज़ल कही किसी ने कहा अफसाना-हिंदी कविता (kisee ne gazal kahi kisee ne afasana-hindi kavita or poem)

तख्त वहीं रहा हमेशा
उस पर बैठे चेहरे बदलते रहे,
खजानों ने झेला हमलां
बाहर लगे पहरे बदलते रहे,
आम इंसान के बेबस रहने की कहानी एक
नाम बदला पर किरदार एक रहा,
किसी ने अफसाने  में
किसी ने गज़ल में कहा,
आसमान से कभी तारा टूटा नहीं,
कोई फरिश्ता ज़मीन पर उतरा नहीं,
सदियों करता रहा इंसान इंतजार।
कहें दीपक बापू
किसे कहें भ्रष्ट,
किसे बतायें इष्ट,
नज़र बंद कर बना रहे लोग अपना नजरिया,
सच से दूर ढूंढ रहे ख्वाब का दरिया,
बाहर के गद्दारों से खौफ नहीं
अंदर के वफदारों से ही हुए हम बेज़ार।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,
ग्वालियर मध्यप्रदेश

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Monday, August 13, 2012

आओ क्रांति पर बात करें हिंदी कविता (aao kranti par bat karen)

सावधान!
क्रांति आ रही है
डरना नहीं
तुम्हें कुछ नहीं होगा
क्योंकि तुम आदमी हो
तुम्हारे पास खोने के लिये कुछ नहीं है,
मगर खुश भी न होना
तुम्हारे लिये पाने को भी कुछ नहीं ह
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कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
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