Friday, November 28, 2014

आदमी चीखकर शब्द बोलता है-हिन्दी कविता(aadmi cheekhkar shabd bolata hai-hindi poem)



अर्थ में शक्ति न हो तो
आदमी चीख कर
शब्द बोलता है।

आशंका  इस बात की
लोग ऊंचा ही सुनते हैं
आदमी चीखकर
शब्द बोलता है।

बुद्धि के दरवाजे से
लौट आती है सोच
विश्वास नहीं होता कि
बात का प्रभाव होगा कि नहीं
आदमी चीखकर शब्द बोलता है।

कहें दीपक बापू खामोश आईने में
जब आदमी देखता है
अपनी बदहाल सूरत,
ख्वाब में आती है
तब उसके सुंदर मूरत,
हताशा और तनाव
कभी मनोबल नहीं बढ़ाते
आत्मविश्वास की कमी से
आदमी चीखकर
शब्द बोलता है।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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Friday, November 21, 2014

स्वंय से छल-हिन्दी कविता(swayan se chhal-hindi poem)



 मिठास की चाहत में
मक्खियां ही नहीं
मनुष्य भी खिंचे चले आते हैं।

सूरज की रौशनी
जब तक रहती धरती पर
पंछी चहाचहाते
अंधियारे के आते ही
घौंसले में चले जाते हैं।

कहें दीपक बापू शिकायत बेकार है
ज़माने की बेवफाई की
झांके अपने दिल में
दूसरा क्या धोखा देगा
हम स्वयं से ही छले जाते हैं।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
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Monday, November 10, 2014

दो नंबर की कमाई की चमक-हिन्दी कविता(do nambar ki kamai ki chamak-hindi kavita)



आर्थिक विकास के साथ
पीछे से अपराधी
विनाश के दौर भी लाते हैं।

कोई नहीं जानता
धनी अपराध करके
या अपराधी व्यापार कर
माया के शिखर पर चढ़ जाते हैं,
माला पहन लेते फूलों की
उनके चेहरे और आचरण
नारों के बीच खो जाते हैं।

कहें दीपक बापू सत्य की शक्ति से
जीता जा सकता है संसार
मगर महल नहीं बना पाते,
एक नंबर की कमाई से
पेट भी  मुश्किल से भर पाते,
भ्रष्टाचार हो या बेईमान
आभूषण की तरह
दो नंबर की कमाई में
सितारे जोड़ जाते हैं।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
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Monday, November 03, 2014

वाघा सीमा पर हमला भारत के लिये चिंता का विषय-हिन्दी लेख(vagha seema par hamala chintajanak-hindi article,india pakistan beeting retreat-hindi editorial)



             13 अक्टुबर 2014 को हम स्वर्ण मंदिर की यात्रा पर गये थे तक सहयात्रियों के प्रभाव या दबाव के चलते हम भारत पाक सीमा यानि वाघा बार्डर भी गये। उस दिन भीड़ बहुत थी। थोड़ा बस ने विलंब से पहुंचाया तो हमें मैदान पर पहुंचने से पहले ही जगह भर जाने के कारण सुरक्षकर्मियों ने रोक लिया।  इसलिये झंडा उतरने का दृश्य अच्छी तरह नहीं देख पाये जिसके लिये लोग जाते हैं। अलबत्ता वहां लोगों की भीड़ देखकर आश्चर्य हुआ।  सुरक्षाबलों की चौकसी बहुत थी।  इस सीमा पर भारत पाकिस्तान के बीच तनाव नहीं रहता है। झंडा उतारने का प्रदर्शन अत्यंत सौहार्द से होता है-जिसका दृश्य हम टीवी पर अनेक बाद देख चुके हैं।  इधर अमृतसर 32 किलोमीटर उधर लाहौर 22 किलोमीटर दूर है।
            सीमा के उस पार आत्मघाती हमलावार के हमले में 65 नागरिक मारे गये तो अनेक हताहत भी हुए हैं।  पाकिस्तान चूंकि आतंकवाद का संरक्षक रहा है इसलिये उसके यहां इस तरह की वारदात होती रही है पर वाघा बार्डर पर हुई यह घटना भारत के लिये चेतावनी है-यह बात अनेक विशेषज्ञ मान रहे हैं।  अगर वह हमलावर कुछ मीटर आगे और कुछ समय पहले आने में सफल होता तो भारतीय पक्ष भी प्रभावित होता।  हमारे पास जानकारी के अधिक साधन तो नहीं है पर जिस तरह समाचार पत्र पत्रिकाओं तथा टीवी चैनल पर जानकारी मिलती है उसके आधार पर हमारा मानना है कि आतंकवाद की नयी घटना आतंकवाद का नया अवतार ही लगती है।  इसमें आम नागरिक तथा सैनिक मरे हैं इसलिये यह भी संदेह है कि पाकिस्तान के रणनीतिकारों का नया प्रयोग भी हो सकता है।  अक्सर पाकिस्तान के नेता अपने यहां के आतंकवाद का रोना रोते हैं पर हमारे जैसे लोग यह भी जानना चाहते हैं कि वहां इसका शिकार कौनसा क्षेत्र और कौनसे लोग होते हैं? क्या उसमें वह लोग तो नहीं होते जो पाकिस्तानी शासन पर स्थापित समाज के लिये अवांछनीय है। सिंध, ब्लूचिस्तान और सीमा प्रांत में पाकिस्तान के उस शासन का अधिक अस्तित्व नहीं है जिस पर वहां का पंजाबी समुदाय हावी है।  कभी शिया तो कभी अहमदिया, ईसाई और हिन्दू  समाज पर हमले होते हैं।  बलूची या पश्तो समाज भले ही धर्म के नाम पर पाकिस्तान के साथ लगते हैं पर हैं नहीं।  लाहौर के पास सीमा पर यह हमला भारी चिंता का विषय है।  हालांकि यह संदेह भी है कि कहीं पाकिस्तान की आतंकवाद के आरोपों से घिरी सरकारी तथा निजी संस्थाओं ने यह प्रयोग कर भारत के विरुद्ध अपने अभियान को नया स्वरूप देने के साथ ही प्रचार में उसका विश्व में राजनीतिकरण करने की कोई योजना बनाई हो।
            आखिरी बात यह कि पाकिस्तान ने पहले झंडा उतारने का प्रदर्शन तीन दिन टालने की बात कही थी पर उसने यह निर्णय वापस ले लिया।  भारतीय प्रचार माध्यम कह रहे थे कि वहां पाकिस्तानी दर्शक आये पर भारत से कोई नहीं गया।  इस पर हमारी सफाई ध्यान करें।  पाकिस्तान ने पहले कार्यक्रम स्थगित किया फिर बदल गया। वहां के लोगों को इसकी जानकारी मिल गयी होगी तो निजी तथा सरकारी परिवहन के संचालकों ने भी अपने वाहन रोके नहीं होंगे।  भारत में यह जानकारी देर से आयी होगी। आयी होगी तो यहां के परिवहन संचालकों ने वाहन नहीं चलाये होंगे या अमृतसर जाने वाले पर्यटकों को यह जानकारी नहीं मिली होगी।  वहां सार्वजनिक या निजी वाहन के जाना संभव नहीं है। इसलिये दर्शकों की अनुपस्थिति को कमजोरी के रूप में न लें।
लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
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