Wednesday, October 21, 2015

झगड़ा बिकता है-हिन्दी कविता(Jhagada bikta hai-Hindi Kavita)

झगड़ा बिकता है-हिन्दी कविता(Jhagada bikta hai-Hindi Kavita)
कोई भी झगड़ा
प्रचार बाज़ार में बिक जायेगा
शर्त यह दो जात
या धर्म के बीच हो।

एक के उच्च होने की
तारीफ में गुणगाान
दूसरा जैसे नीच हो।

कहें दीपकबापू विज्ञापन युग में
सनसनी बिकती है वहीं
जहां राम सीता हो
वहां जरूर मारीच हो
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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Saturday, October 10, 2015

शायद यही विकास है-हिन्दी कविता(Shayad yahi Vikas hai-Hindi Kavita)


वातानुकूलित कक्ष में
मद्धिम प्रकाश के बीच
टेबलों पर जाम टकराते
लोग बिखेरते कृत्रिम रुआंसी हसंी
शायद यही विकास है।

सड़क पर धूंआ फैलाते
जोर की घ्वनि बजाते
आधुनिक चौपाये जाम लगाये हैं
शायद यही विकास है।

दूरसंदेश चलित यंत्र
हाथ में थामे जवां दिल
इश्क में उद्यमी की तरह व्यस्त
मगर रोजगार से पस्त
शायद यही विकास है।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
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Saturday, October 03, 2015

बहाना ढूंढना जरूरी नहीं है-हिन्दी कविता(Bahana Dhoondhna jaroori nahin hai-HindiKavita)

बिना बात के ही
हंसना सीख लो
खुश होने के बहाने
ढूंढना जरूरी नहीं है।

कोई प्रसंग न हो
ताली बजाना सीख लो
मौन रहने का बहाना
ढूंढना जरूरी नहीं है।

कहें दीपकबापू दिल से
खुद खेलना सीख लो
चल पड़ो अपने पांव पर
टहलने का बहाना
ढूंढना जरूरी नहीं है।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
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