Wednesday, July 20, 2016

दिल बेकरार है-हिन्दी कविता (Dil Bekarar hai-Hindi Poem)

पहाड़ पर बर्फ
गिरती देखने के लिये
दिल बेकरार है।

समंदर में लहरें
उठती देखने के लिये
दिल बेकरार है।


कहें दीपकबापू जिंदगी में
 हर किस्म के बंदे
चाहे अनचाहे मिलते हैं
मतलब निकलने के लिये
हमेशा सभी का
दिल बेकरार है।
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Saturday, July 09, 2016

नयी चाहत-हिन्दी कविता (Nayi Chahat-HindiPoem)

जीवन पथ पर
सहयात्री की खोज
आंखे करती हैं।

बहुत नरमुंड मिलते
उनकी इच्छायें ही साथी
हमेशा आहें भरती हैं।

कहें दीपकबापू याद में
किसे बसाकर
अपना दिल बहलाते
हृदय की भावनायें
नयी चाहत पर मरती है।
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Tuesday, July 05, 2016

अनुभूतियों के जंगल-हिन्दी व्यंग्य कविता (Anubhutiyon ke Jungle-HIndi poem)

गणित के खेल में
शब्द कहां टिकते हैं।

मधुर वाणी का
सम्मान नहीं हो सकता
जहां शोर के स्वर बिकते हैं।

कहें दीपकबापू रौशनी में
रहकर चुंधिया गयी आंखें
राख हो चुकी संवदेनाओं में
अनुभूतियों के जंगल
वीरान दिखते हैं।
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