Monday, January 16, 2017

विशेष हिन्दी क्षणिकायें तथा हास्य कवितायें (Special Hindi Short poem And comedy)

जमाना बजा रहा ताली
--
बाज़ार में सपने बिकते देखे।
खरीददार घुटने टेकते देखे।।
आत्मसम्मान मिट्टी में मिला
आजाद भेष में गुलाम देखे।।
--
लालच के बने गुलाम-हिन्दी कविता
-------
देसी लोग
लिखपढ़कर विदेसी जैसे  हो जाते हैं।

अपनी ज़मीन नहीं दिखती
विदेशी सोच में खो जाते है।

देखा नहीं लंदन
लगा रहे  अंग्रेजी का चंदन
समझी नहीं गीता
गड़बड़ चिंत्तन से
अज्ञान का वाङ्मय ढो जाते हैं।

उठाते प्रश्न शोर मचाकर
फिर सो जाते हैं।

कहें दीपकबापू विचार के खजाने
खाली कर चुके अक्लमंद
हर हादसे पर
हमदर्दी में बस रो जाते हैं।
--
हमसे वह बहुत बड़े हैं
हम ढूंढ रहे सफेद धन
बाहर लगी कतार में
करचारों के घर
लूटे बंडल पड़े हैं।
-----

Monday, January 09, 2017

लालच के बने गुलाम-हिन्दी कविता (Lalach Ke Gulam-Hindi Kavita)


अपने घर सजा रहे
पेड़ उजाड़कर
वन के माली।

खजाने के पहरेदार
लालच के बने गुलाम
कर दिया खाली।

माया का डंडा चलता
बजा रहा पूरा ज़माना
जोर जोर से ताली।
---------------------------------
देसी लोग
लिखपढ़कर विदेसी जैसी हो जाते हैं।

अपनी ज़मीन नहीं दिखती
विदेशी सोच में खो जाते है।

देखा नहीं लंदन
लगा रहे  अंग्रेजी का चंदन
समझी नहीं गीता
गड़बड़ चिंत्तन से
अज्ञान का वाङ्मय ढो जाते हैं।

उठाते प्रश्न शोर मचाकर
फिर सो जाते हैं।

कहें दीपकबापू विचार के खजाने
खाली कर चुके अक्लमंद
हर हादसे पर
हमदर्दी में बस रो जाते हैं।
--

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

लोकप्रिय पत्रिकाएँ

विशिष्ट पत्रिकाएँ