tag:blogger.com,1999:blog-3491586719822281103.post6083104659374242257..comments2023-06-10T18:59:34.010+05:30Comments on दीपक भारतदीप की शब्द प्रकाश-पत्रिका: भूखे पेट न भजन होता न बंदूक चलती- काव्य चिंतन (bhookh ar banddook-hindi kavita aur lekh)दीपक भारतदीपhttp://www.blogger.com/profile/06331176241165302969noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3491586719822281103.post-70850391817900793952009-11-14T20:01:39.564+05:302009-11-14T20:01:39.564+05:30दीपक जी मन की बात लिख दी है आपने। दरअसल नक्सलवादिय...दीपक जी मन की बात लिख दी है आपने। दरअसल नक्सलवादियों को क्रांतिकारी बनाने की साजिश है इस देश में। लेकिन कोई तो सोचे कि व्यवस्था परिवर्तन के पश्चात हम कैसा विकल्प पायेंगे - क्या नेपाल जैसा? या हमें अपना हश्र उन चीन के विद्यार्थियों जैसा करना है जिनकी अभिव्यक्ति पर टैंक चढा दिये जाते हैं, या हमें रूस की तरह टुकडे टुकडे होना है? <br /><br />दर असल नक्सली तथाकथित बुद्धिजीवियों की दूकाने हैं और आपनें कितना सच लिखा है कि "भूखे पेट न भजन होता है न बंदूख चलती है" तभी तो हथिया चीन के पाये जाते हैं लेकिनबुद्धिजीवी चुप, लिट्टे से नक्सलियों के संबंध सुने जाते हैं लेकिन बुद्धीजीवी चुप, आई एस आई और अलकायदा से नक्सलियों के संबंध पाये जाते हैं लेकिन बुद्धिजीवी चुप। दर असल चुप्पी में ही सृजन होता है.....। हमारे तथाकथित लेखक/ समाजसेवी ही एसे देश द्रोह में संलिप्त है तो क्या कहा जाये?राजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.com