tag:blogger.com,1999:blog-3491586719822281103.post8524862097074011273..comments2023-06-10T18:59:34.010+05:30Comments on दीपक भारतदीप की शब्द प्रकाश-पत्रिका: शहर फिर भी लगते हैं वीरानों से -व्यंग्य कवितादीपक भारतदीपhttp://www.blogger.com/profile/06331176241165302969noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3491586719822281103.post-34195575460405052232008-11-02T21:14:00.000+05:302008-11-02T21:14:00.000+05:30इंसानों से नहीं होती अब वफादारी फिर भी जमाने से चा...इंसानों से नहीं होती अब वफादारी <BR/>फिर भी जमाने से चाहते हैं प्यार <BR/>हो गये हैं दीवानों से <BR/>लगाते हैं एक दूसरे पर इल्जाम <BR/>खेल रहे हैं दुनिया भर के ईमानों से<BR/>bahut khoob ....waah....MANVINDER BHIMBERhttps://www.blogger.com/profile/16503946466318772446noreply@blogger.com