जीवन पथ पर
सहयात्री की खोज
आंखे करती हैं।
बहुत नरमुंड मिलते
उनकी इच्छायें ही साथी
हमेशा आहें भरती हैं।
कहें दीपकबापू याद में
किसे बसाकर
अपना दिल बहलाते
हृदय की भावनायें
नयी चाहत पर मरती है।
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सहयात्री की खोज
आंखे करती हैं।
बहुत नरमुंड मिलते
उनकी इच्छायें ही साथी
हमेशा आहें भरती हैं।
कहें दीपकबापू याद में
किसे बसाकर
अपना दिल बहलाते
हृदय की भावनायें
नयी चाहत पर मरती है।
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