Friday, July 18, 2014

हार्दिक हमदर्दी नहीं आयेगी-हिन्दी कविता(hardik hamdardi nahin ayegi-hindi poem)



आज कार खरीदी है
कुछ समय तक तेल पीयेगी
फिर पुरानी लगेगी
तब कोई नयी आयेगी।

आज टीवी खरीदा है
कुछ समय तक आंखों में
दिखेंगे रंगीन दृश्य
एक दिन उसकी भी
तस्वीर धुधली हो जायेगी।

आज मोबाइल खरीदा है
 कानों से चिपका रहेगा
लोग करेंगे दूर से बात
उनके पास न होने की कमी सतायेगी,

कहें दीपक बापू सामानोें के बाज़ार में
खो गया हर इंसान
हृदय में नहीं बची संवेदना
किसी  गम हल्का करने  के लिये
बाहर से हार्दिक हमदर्दी नहीं आयेगी
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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