Wednesday, October 15, 2014

जिंदगी का सफर-हिन्दी कविता(zindagi ka safar-hindi poem)




हंसते और सहमते हुए
जिंदगी का सफर
यूं ही कट ही जाता है।

कभी राह  मिलती
सीधी और सपाट
कभी आते गड्ढे
संभालते हुए अपने कदम
दिमाग का ध्यान
बाकी समस्याओं से
हट ही जाता है।

कहें दीपक बापू जिंदगी के रंग
बहुत सामने आते हैं,
आंखों के सामने दिखता
जो दिखता उस पर
रहती आंख
पिछला भूल जाते हैं,
चेहरा जो साथ हो
लगता मूल्यवान
जब छोड़ता है
उसका भाव घट ही जाता है।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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