Saturday, May 23, 2015

बेपरवाह हो जाओ-हिन्दी कविता(beoravah ho jao-hindi poem)

हमसे बेपरवाह है जो लोग
उनकी चिंता करना बेकार
इंसानों की आंखों से ज्यादा
अक्ल पर धूल जमी है।

न पत्थर बुरा
न हीरा अच्छा
सांस लेने वाली
 नाक की दोनों में कमी है।

कहें दीपक बापू इंसानों में
न फरिश्ते होते न शैतान
मतलब की आग में
जल गये जज़्बात सभी के
दिल हो गये खाक
अब कहां उनमें नमी है।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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