Thursday, November 19, 2015

अपना दिल बहलायें-हिन्दी शायरी(Apna Dil Bahlayen-Hindi Shayri)


सपनों के पांव नहीं होते
कब तक सोच की
बैसाखियों के सहारे चलायें।

ख्वाबों का रास्ता नहीं मिलता
कब तक अंधेरे में
ख्यालों का चिराग जलायें।

कहें दीपकबापू सच से
कब तक मुंह छिपाओगे
कुछ देर भले ही
सपने और ख्याल से
अपना दिल बहलायें।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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