Wednesday, February 24, 2016

अपने हिस्से कमा लिये-हिन्दी कविता(Apane Hisse Kama liye-Hindi Kavita)

आपस में लड़कर
अपने नाम से धरती पर
इलाके बना लिये।

सिंह नहीं है
फिर भी बैठने के लिये
सोने के सिंहासन जमा लिये।

कहें दीपकबापू दुनियां में
एकता की चाहत बहाना है
चालाक लोगों का
जिन्होंने बंटवारे में
दौलत हिस्से के कमा लिये।
------------

लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
यह कविता/आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप की अभिव्यक्ति पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका

४.दीपकबापू कहिन
5.हिन्दी पत्रिका 
६.ईपत्रिका 
७.जागरण पत्रिका 
९.शब्द पत्रिका

No comments:

Post a Comment

अपनी प्रतिक्रिया दें