Sunday, December 07, 2014

अर्थ अपराध की बढ़ती दर-हिन्दी कविता(arth aparadh ki dar-hindi kavita)



अर्थ की विकास दर
आकाश  में जितनी ऊंची होगी
ज़मीन पर अपराध का
पैमाना भी बढ़ जायेगा।

काले कारनामों से
तिजोरी भरने वाले सफेदपोश
जितने रचेंगे स्वांग
काली नीयत वाला भी
उतने ही वेश बनायेगा।

कहें दीपक बापू विकास पथ पर
चला रहे समाज
काले धन वाले,
ईमानदार घर बचाने के लिये
ढूंढ रहे मजबूत ताले,
पैसे और मदिरा के नशे में
डूबे लोगों की खबर नहीं
कौन कहां कहर बरपायेगा।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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