Saturday, January 31, 2015

अनुभूतियों का भंडार-हिन्दी कविता(anubhutiyon ka bhandar-hindi poem)




अनुभूतियों के भंडार में
आशाओं के बादल से
हुई निराशा की बरसात भी है।

अच्छे दिनों की
याद किसे आती है
परेशानियों में गुजरी
ढेर सारी लंबी रात भी हैं।

कहें दीपक बापू स्मृतियों से
कितनी निभा सकते हैं,
वर्तमान के अनवरत संघर्ष में
हम पुराने वक्त की तरफ तकते हैं,
हम हारे भी
हम जीते भी
किसकी परवाह होती जब
अपनी तो योद्धाओं की जात है।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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