घड़ियों में समय
पंचांग में दिन
बीतता गया।
कई साथ लोग साथ चले
जिंदगी का सफर
धूप और छांव में
बीतता गया।
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पेड़ ही मनुष्य जीवन के मुख्य आधार तत्व जल का संचय तथा प्राणवायु का संचालन करते हैं। |
घर के बाहर खड़ा
पेड़ अंदर न आया कभी
देता रहा बाहर खड़ प्राणवायु
अकेलेपन के इस साथी से
बात किये बिना ही समय
बीतता गया।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
यह कविता/आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप की अभिव्यक्ति पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।ग्वालियर, मध्यप्रदेश
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