Thursday, May 28, 2015

जड़बुद्धि में चेतना-हिन्दी कविता(jadbuddhi meih chetna-hindi poem)

ग से गधा पढ़ायें कि गणेश
इस पर विद्वानों में
वाद विवाद हो जाता है।

अपढ़ के लिये हिन्दी का
काला अक्षर भैंस बराबर
शिक्षित भी गोरों की एबीसीडी से
बकरी जैसा गुलाम हो जाता है।

कहें दीपक बापू उपाधियों पर
चाहे जो छाप लगी हो
शिक्षितों की जड़बुद्धि में
चेतना का बीज बोना
कठिन हो जाता है
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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