Tuesday, June 02, 2015

पुराने बुद्धिमान कह गये-हिन्दी कविता(PURANE BUDDHIMAN KAH GAYE-HINDI POEM)

बड़े के आगे
घोडे़ के पीछे
न चला करो
पुराने बुद्धिमान कह गये।

अर्थतंत्र के नये दौर में
जो न सेठ न घुड़सवार बने
चाटुकारिता की धारा में
तैरते हुए बह गये।

कहें दीपक बापू स्वाभिमान से
जिंदगी गुजारना
सहज भाव से ही संभव है
अभिमानियों की सेवा
करते करते कई चमचे
अपमान की धारा में बह गये।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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