Wednesday, July 15, 2015

इंसान और पशु पक्षी-हिन्दी कविता(insan aur pashu pakshi-hindi poem)


न मान की चाहत
न धन की कामना
हम तो यूं ही हमदर्दी का
प्रस्ताव रख देते हैं।

कोई यकीन नहीं करता
सभी विश्वास में धोखे का
घाव जो चख लेते हैं।

कहें दीपक बापू हैरान हैं हम
बेजुबान पशु पक्षी कभी
विश्वास की परीक्षा नहीं देते
उनकी आंखों के भाव
सच्चाई कह देते
वह इंसान ही होते
मांगते सभी से वफा
अपना चेहरा धोखे से ढक लेते हैं।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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