Wednesday, July 29, 2015

इन अर्द्धबुद्धिमानों को क्षमा प्रदान करें-हिन्दी व्यंग्य चिंत्तन(sorry for half inteligent mein-hindi satire thought article)

                              यह केवल मुंबई धमाकों के अपराधी को फांसी देने के समय नहीं हो रहा वरन् भारत में हर फांसी की घटना का विरोध करने के लिये हमारे यह खाये पीये अघाये और बौराये अर्द्धबुद्धिमान जुलूस निकालकर विरोध करते है-अंतर्जाल पर लिखने वाले अनेक लोग इन्हें मोमबत्ती छाप भी कहते हैं। कई वर्षों तक हम कभी कभार फांसी होने की खबर के बीच इनके बयान भी अखबार में पढ़ते थे पर आजकल टीवी पर भी देखते हैं।  बढ़ती जनसंख्या के साथ इनकी संख्या बढ़ती है तो ऐसे जुलूस तो हर विषय पर निकल रहे हैं।  किसी भी अपराधी को फांसी नहीं होना चाहिये, ऐसी कल्पना यह  अर्द्धबुद्धिमान कर रहे हैं। यह धरती फांसी रहित स्वर्ग बन जाये यह सपना देखने वाले लोगों को यह प्रयास भी करना चाहिये कि यहां कोई अपराधी ही न हो, तब भी उन्हें पूर्ण बुद्धिमान माना जा सकता है।
                              अगर मुंबई धमाकों के आरोपी को फांसी दी जा रही है तो इन अर्द्धबुद्धिमानों के विरोध प्रदर्शनों पर ज्यादा उत्तेजित नहीं होना चाहिये।  हम इनके समर्थक नही हैं पर इनका सार्वजनिक विलाप न देखें तो्र मजा भी नहीं आता।  पश्चिम बंगाल में एक बलात्कारी को फंासी दिये जाने के समय भी यह उसी दिन प्रातः सड़कों पर आये थे। इसलिये इन पर यह आरोप लगाना कि देशद्रोही का साथ दे रहे हैं-अतिश्योक्ति लगती है। हमारा बुद्धिमान साथियों ने अनुरोध है कि इन अर्द्धबुद्धिमानों का क्षमा करें।  न्यायापालिका ने अपना काम किया कार्यपालिका अपना काम कर रही है।  ऐसे में उत्तेजित होकर इन अर्द्धबुद्धिमानों पर बरसना ठीक नहीं है। बिचारे, तब ही तो फांसी का विरोध करने निकलते हैं जब किसी को होती है। बाकी समय तो बैठै इंतजार करते हैं।  विश्व भर में फंासी पर बहस चलती है पर उसमें शािमल होने का न इनको अवसर मिलता है न इतनी योग्यता है कि सतत अपना अभियान जारी रख सकें।
                              फांसी भी रोज नहीं होती। कभी कभार ही इनको ऐसा अवसर मिलता है जब पूरे समाचार माध्यम इनका नाम लेते हैं।  उस समय पूर्ण बुद्धिमान चुप कर को्रयल की तरह बैठ जाते हैं और यह मैंढक की तरह टर्र टर्र करते हैं। भई हमारे हिसाब से तो कोयल की कू कू में मधुरता से जहां आनंद मिलता वहीं उसके बाद मैंढक की टर्र टर्र भी हमारी चेतना को जाग्रत करती है।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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