Saturday, August 15, 2015

शब्द और दर्द-हिन्दी कविता(shabd aur dard-hindi poem)

हर कदम पर दर्द का बसेरा
बयान करते हुए
शब्द अपने अर्थ खो रहे हैं।

चारों तरफ फैले हमदर्द
 अकेले शब्द से करते सहायता
दलाली में खो रहे हैं।

कहें दीपक बापू जमीन पर
इंसान के मर गये जज़्बात
उम्मीदों के शब्द पंख
 फरिश्तों की तलाश करते
आकाश में खो रहे है
-----------
लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
यह कविता/आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप की अभिव्यक्ति पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका

४.दीपकबापू कहिन
5.हिन्दी पत्रिका 
६.ईपत्रिका 
७.जागरण पत्रिका 
८.हिन्दी सरिता पत्रिका 
९.शब्द पत्रिका

No comments:

Post a Comment

अपनी प्रतिक्रिया दें