कभी कभी तो लगता है कि पाकिस्तान का नाम भारत के प्रचार माध्यमों के लिये एक फरिश्ते की तरह है
जिससे उनको विज्ञापनों के बीच भारी कमाई होती है। भारतीय चैनल पर ही पाकिस्तान के
टीवी पत्रकार हामिद मीर ने बातचीत करते हुए यही कहा कि जिस तरह का विवाद चल रहा है
उससे दोनेां तरफ की टीवी चैनलों की रेटिंग ही बढ़ रही है। उनकी बात से तो यह तो लगा कि भारत विरोध भी अब पाकिस्तान में कमाई
का साधन बना हुआ है। अगर उनकी बात माने तो
शायद दोनों तरफ के चैनल यही चाहते हैं कि कुछ विवाद चलता रहे और उनको दर्शक मिलते
रहे। पाकिस्तान के सुरक्षा सलाहकार भारत
आयें या नहीं पर उनकी यात्रा को लेकर टीवी चैनलों पर समाचार के बीच विज्ञापनों का
दौर चल रहा है उससे तो ऐसा लगता है कि यह यात्रा प्रचार माध्यमों के स्वामियों के
प्रायोजन पर ही निर्भर है।
हम जानते हैं कि दुनियां भर के टीवी चैनल उन लोगों के हाथ में जिनके घर में
दौलत दासी की तरह विराजमान रहती है। यही
लोग आर्थिक, सामजिक, खेल फिल्म तथा कला तथा प्रचार संस्थाओं पर भी अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष
नियंत्रण रखते हैं। इनके धंधे सफेद कम काले और पीले ज्यादा होते हैं। अपनी कमाई
बनाये रखने के लिये वह सामान्य जन का ध्यान ऐसे विषयो की तरफ लगाते हैं जिनसे उनको
न बल्कि कमाई हो वरन् राज्य प्रबंध भी उनकी तरफ न देखे।
हामिद
मीर से भारतीय पत्रकार ने सहमति जताई पर सच यह है कि इसके बावजूद यह संभावना नहीं
है कि उसका चैनल अपने विषय को राष्ट्रभक्ति की चाशनी में डुबोकर न पेश करे।
वामपंथी आधुनिक अर्थतंत्र में कंपनी को दैत्य की उपाधि देते हैं। इनके स्वामियों
का जिस तरह पूरे विश्व पर नियंत्रण है उससे तो यही लगता है कि हर देश पर उनका
निंयत्रण है तब यह शंका होती है कि हम उनके प्रायोजित पर्दे पर जो पात्र देखते हैं
वह कहीं उनके वेतनभोगी निर्देशकों के संकेतों पर तो काम करते हैं। जिस तरह भारत पाक की बातचीत टीवी चैनलों पर आधिकारिक
बयानों से हो रही है उससे तो यह प्रश्न भी उठता है कि सुरक्षा सलाहकार आयें या
नहीं फर्क क्या पड़ता है?
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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