तूफान जैसा क्यों
भागना चाहते हो,
हवा की तरह बहने में भी मजा आता है।
उम्र कम है तेजी से दोड़ने वालों की
बढ़ती गति के साथ
डोर टूट जाती है ख्यालों की
आसमान छूने की चाहत बुरी नहीं है
पर तारे हाथ आयें या चंद्रमा
पत्थर के टुुकड़ों या मिट्टी के
ढेर के अलावा हाथ क्या आता है।
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चमकता पत्थर हो या हीरा
देखने में एक जैसा नज़र आता है।
चमकती चीजों का वजूद
वैसे भी आंखों से आगे कहां जाता है।
पेट की भूख बुझाता अन्न,
गले की प्यास को हराता जल,
सर्वशक्तिमान का तोहफा है
मिलता है आसानी से इंसान को
शायद इसलिये अनमोल नहीं कहलाता है।
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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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3 years ago
1 comment:
गले की प्यास को हराता जल,
सर्वशक्तिमान का तोहफा है
मिलता है आसानी से इंसान को
शायद इसलिये अनमोल नहीं कहलाता है।
SAHI HE
SHKEHAR KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/
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