उनकी आँखों में वफा का समंदर
इस कदर बहते देखा है
लगता है कि
सारे जहान के लोगों की प्यास बुझ जाएगी,
जुबान से मीठे शब्दों की लहर
इतनी तेज उठती है
लगता है कि
जमाने भर के लोगों को
गर्मी में भी शीतलता दिलाएगी।
मगर ज़मीन पर कभी
एक बूंद भी वफा की
टपकती नज़र नहीं आती,
गरीब की भूख और प्यास
रोज उम्मीद मे भंवर में फंस जाती,
भले दौलत की हर धारा
जमाने की ठेकेदारों के घर में बहती दिख जाएगी।
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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