Tuesday, July 23, 2013

जिंदगी का दर्शन-हिन्दी कविता (zindagi ka darshan-hindi kavita)



जिंदगी का यही दर्शन है
दोस्त अगर दगा नहीं करते
गद्दारी और वफादारी की
पहचान करन मुमकिन नहीं होता है,
जिनको बख्शा प्यार
वह चोट नहीं करते दिल पर
यकीन और धोखे की पहचान में
इंसान अपना दिमाग कभी नहीं खोता है।
कहें दीपक बापू
जुबां पर ताला लगा लें हम
ज़माना खामोशी पर चिल्लाता है,
नज़रअंदाज करें किसी की अदायें
वह आगे पीछे घूमकर दिखलाता है,
किसी की तारीफ करो
फिर भी वह खुश नहीं होता है,
सच हो किसी के सामने
                                                              वह झूठ बात कहकर रोता है।

लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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Thursday, July 04, 2013

समझदारी बन गयी बीमारी-हिन्दी कविता (samajhadar ban gayi bimari-hindi kavita)



 जिनको नहीं चलने का तरीका
दौड़ने में मजा वही बताते हैं,
कभी दिल का हाल जाना नहीं
इश्क के गीत वही गाते हैं।
कहें दीपक बापू
ज़माने की समझदारी,
बन गयी  है एक बीमारी,
खाने का सामान लेकर
पहुचंते उद्यानों में
जीभ के स्वाद में लोग डूबते,
पेट भरकर जल्दी ऊबते,
गंदगी छोड़कर चल देते अपने घर,
शीतल हवाओं में विष घोलते उसके दर,
सुख के लिये इधर उधर दौड़ते हुए
ऐसे लोग मरे जाते हैं,
दूसरों की आंखों और सांसों में
करते हैं दर्द पैदा
स्वयं भी तनावों से नहीं परे रह पाते हैं।
............................................

लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
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Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
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