Thursday, August 27, 2015

इंसान का दिल-हिन्दी कविता(insan ka dil-hindi kavita)

भरोसा कोई निभाये
यह नहीं दिखता
धोखे की खबर बनती है।

रिश्ता निभाये कोई
ताली नही बजती
झगड़े पर नज़र जमती है।

कहें दीपक बापू इंसान का दिल
कभी दूसरे के जख्म पर
मरहम लगाने को तैयार नहीं होता
गैर दर्द से कराहे
उसकी खुशी बनती है।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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