Thursday, April 22, 2010

तरक्की के नाम पर-हिन्दी शायरी (tarakki ke nam par-hindi shayari)

अपने घर में जगह नहीं बची
अब परदेस में अपनी दौलत भरने लगे हैं,
कहने को तो अपने ही सगे हैं।
कमाने के नाम पर लूटा,
सारी तिजोरियां भर गयी
फिर अपनों से उनका विश्वास भी रूठा,
कभी कभी अपने होने का
दिखावा वह कर लेते हैं,
दान की दलाली के धंधे  में
समाज सेवा करते हुए
कमीशन से अपनी जेब भर लेते हैं,
उनकी अमीरी की चमक के सामने
आसपास की गरीबी दबी है विकास दर के नीचे
मजदूरी में मारे हिस्से से सजे हैं उनके घर के गलीचे
हार गयी है ईमानदारी
तरक्की के नाम पर बेईमानों के भाग्य सजे हैं।
------------




कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

-------------------------
यह कविता/आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप की अभिव्यक्ति पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका

1 comment:

दिलीप said...

bahut khoob achcha vyangya...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

लोकप्रिय पत्रिकाएँ

विशिष्ट पत्रिकाएँ