Sunday, September 12, 2010

पैसा जैसा नचायेगा-हिन्दी व्यंग्य कविता (paisa jaisa nachayega-hindi vyangya kavita)

लोगों को जो धर्म के नाम पर बहलाये
वह धर्म गुरु बन जायेगा,
अपनी कमर को चाहे जैसे लचकाये
वह अभिनेता बन जायेगा,
मुखौटा लगाये बुत की तरह कुर्सी पर सज जाये
वह शासक बन जायेगा,
बशर्ते किसी दौलतमंद को यह बताये
कि उसका बंदर बन जायेगा,
वैसे नाचेगा, उसका पैसा जैसा नचायेगा।
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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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