सुंदरता की
पहचान किसे है
सभी भ्रमित,
दरियादिली
किसे कैसे दिखाएँ
सभी याचक,
वफा का गुण
कौन पहचानेगा
सभी गद्दार,
खाक जहाँ में
फूलों की कद्र कहाँ
सांस मुर्दा है,
बेहतर है
अपनी नज़रों से
देखते रहें,
खुद की कब्र
खोदते हुए लोग
तंगदिली में,
भरोसा तोड़ा
जिन्होने खुद से
ढूंढते वफा,
उन चीजों में
जो दिल को छूती हैं
रूह को नहीं,
उनके दाम
सिक्कों में नपे हैं
दिल से नहीं।
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
poet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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