Sunday, March 22, 2015

ख्वाबों का सागर-हिन्दी शायरियां(khawabon ka sagar-hindi shayriyan)




बंद कर दिये
उन्होंने सोच के दरवाजे
कुछ करने के इरादे भी
दिल से निकाल दिये हैं।

कहें दीपक बापू गुलामी पर
फिदा हो गये जो लोग
उन्हें आजादी का मतलब
नहीं समझा सकते
बाहर से आती हवाओं के
खौफ से उन्होंने
घर के दरवाजे
बंद कर लिये हैं।
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जिंदगी का सच-हिन्दी कविता
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भरोसे पर टिकाये रखी
हमेशा ही जिंदगी की इमारत
वादों की बरसात में भी
हम खूब नहाये हैं।

बहुत से जादूगर देखे
ख्वाबों का सागर बनाने वाले
जिसके किनारे कभी
स्वयं  वह न आये हैं।

कहें दीपक बापू समय की धारा में
हम यूं ही बहते रहे,
किसी ने नहीं सुनी
हम अपनी कहते रहे,
सर्वशक्तिमान ने
जितना लिखा भाग्य
सच यह है कि उसी के सहारे
यहां तक आये हैं।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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