अपराध की कामयाबी से
तभी आदमी तक डोलता है
जब तक वह सिर चढ़कर नहीं बोलता है।
यह कहना ठीक लगता है कि
जमाना खराब है,
चमक रहा है वही इंसान
जिसके पास शराब और शबाव है,
मगर यह सच भी है कि
सभी लोग नहीं डूबे पाप के समंदर में,
शैतान नहीं है सभी दिलों में अंदर में,
भले इंसान के दिमाग में भी
ख्याल आता है उसूल तोड़ने का
पर कसूर की सजा कभी न कभी मिलती है जरूर
भला इंसान इस सच से अपनी जिंदगी तोलता है।
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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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3 years ago
1 comment:
मनुष्य के मन में कई बार कुछ गलत राह पकड़ कर आगे बढ़ने का खायल आता है लेकिन उसी उसी समय उसके धैर्य और चरित्र कि परीक्षा होती है. चरित्रवान कभी भी सन्मार्ग से नहीं डिगते और जो डिग जाते हैं वो चरित्रवान नहीं होते. चरित्र तो वास्तव में पालन-पोषण से, परिवार की शिक्षा से बनता है. हर ज़माने में कुछ दुश्चरित्र व्यक्ति रहे हैं चाहे आप किसी भी युग को देख लीजिये फिर आज के समय के बुरे लोगों पर इतनी हाय तौबा करने से कुछ नहीं होगा. अगर वास्तव में हम इस बात से चिंतित हैं और कुछ करना चाहते हैं तो एक सार्थक प्रयास करना होगा निराश होने से कुछ नहीं होगा. यकीन जानिए हल अवश्य निकलेगा क्योंकि बुरे कि आयु बहुत कम होती है
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