Thursday, May 13, 2010

तलवार और शब्द-हिन्दी शायरी (talwar aur shabad-hindi shayari)

बुद्धिमान लोग
पहले से ही तयशुदा जंग लड़ते हैं,
एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिये
कहीं तलवार हवा में हिलाते
कहीं कागज पर शब्द भरते हैं।
सच में जो उतरते मैदान में
उनको अब कोई नहीं पूछता,
क्योंकि अब पर्दे के आसपास ही
सिमट गयी हैं लोगों की आंखें
जिनके दृश्य केवल पैसे
नकली नायकों और खलनायकों के
द्वंद्व से ही सजते है
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शांत पड़ी महफिल में
भूचाल आ गया,
‘सबसे अच्छा कौन’ का प्रश्न जब किसी ने पूछा
तो मृत्यु जैसा मौन छा गया।
फिर शुरु हुआ उत्तर देने का दौर
हर कोई अपनी छाती ठोक कर
अपने कारनामें बयान कर रहा था
आखिरी तक कोई जवाब नहीं मिला
नापसंद कर रहे थे सभी एक दूसरे को
स्वयं को हर कोई भा गया।

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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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1 comment:

nilesh mathur said...

वाह! कमाल की पंक्तियाँ है!

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