Wednesday, May 26, 2010

आधुनिक युग का मूलमंत्र-हिन्दी शायरी (adhunik yug ka mulmantra-hindi shayari)

गरीबी हटाओ,
धर्म बचाओ
और चेतना लाओ
जैसे नारों से गुंजायमान है
पूरा का पूरा प्रचार तंत्र।
चिंतन से परे,
सुनहरी शब्दों से नारे भरे,
और वातानुकूलित कक्ष में
वक्ता कर रहे बहस नोट लेकर हरे,
खाली चर्चा,
निष्कर्ष के नाम पर काले शब्दों से सजा पर्चा,
प्रचार के लिये बजट ठिकाने के लिये
करना जरूरी है खर्चा,
भले ही आम आदमी हाथ मलता रहे,
मगर बाज़ार का काम चलता रहे,
सौदागर का खाता फलता रहे,
नयी सभ्यता का यही है अर्थतंत्र।
पैसे के लिये जीना,
पैसे लेकर पीना,
पैसा चाहिए बिना बहाऐ पसीना,
आधुनिक युग का यही है मूलमंत्र।
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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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