Thursday, May 20, 2010

चूहे का वेश छोड़ना होगा-हिन्दी शायरी (choohe ka vesh-hindi shayri)

हाथ जलने के डर से
दियासलाई नहीं जलायेंगे
तो फिर रौशनी भी नहीं पायेंगे।
चूहों की तरह अंधेरे में छिपने की
आदत हो गयी तो
हर जगह बिल्लियों के आंतक तले
अपना जीवन बितायेंगे।
कभी न कभी तो लड़ना होगा,
चूहे का वेश छोड़ इंसान बनना होगा
आग जलने दो अनाचार के खिलाफ
वह ताकतवार होंगे तो हम मर जायेंगे,
अगर कमजोर हुए तो छोड़ देंगे सांस
फैसला होना चाहिये
जीते तो अमर हो जायेंगे।

--------
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

-------------------------
यह कविता/आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप की अभिव्यक्ति पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका

3 comments:

nilesh mathur said...

waah1 bahut sundar rachna!

दिलीप said...

bahut umda kavita...

M VERMA said...

कभी न कभी तो लड़ना होगा,
जी हाँ लड़ना तो होगा ही.
सुन्दर रचना

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

लोकप्रिय पत्रिकाएँ

विशिष्ट पत्रिकाएँ