Friday, January 02, 2009

कुछ पल की खुशियों की खातिर-हिंदी शायरी

बिकता है जो सौदा बाजार में
उसे वह बनाता भी है
अपनी दुकान में सौदागर सजाता भी है
अगर ऐसा नहीं होता तो
बरसों तक नहीं चलते
वह नाम जिनमें इंसानों के गुट बने हैं
कितनों के हाथ खून से सने हैं
लड़ झगड़ कर इंसान कंगाल होता
पर बाजार तो अमीर फिर भी हो जाता है

बहुत नाम होता है ईमानों का
वह भी शय बनी है सदियों से
किस इंसान का कौनसा है धर्म
बता देता है उसका कर्म
पोशाकों टोपियों के रंग से होता है जाहिर
कभी चेहरे पर ही लिखा मिल जाता है
कहीं तलवार तो कहीं तीर है पहचान
नाम है सर्वशक्तिमान का
पर दुनियां में बनी चीजों से
बढ़ती है उसके बंदों की शान
बनाये हैं जिन्होंने ईमान
उनके निभाने की कोइ शर्त नहीं रखी
कभी उसके नाम पर मिठाई नहीं नहीं चखी
पर त्यौंहारों पर त्यौहार बनाता गया बाजार
आम इंसान तो रहा है वहमों का शिकार
कुछ पल की खुशियों की खातिर
बनकर जाता है खरीददार
सौदागरों के लिये फायदे की शय बन जाता है

..........................................
लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकाएं भी हैं। वह अवश्य पढ़ें।
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान-पत्रिका
4.अनंत शब्दयोग
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप

No comments:

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

लोकप्रिय पत्रिकाएँ

विशिष्ट पत्रिकाएँ