पाकिस्तान अपनी बचकाना बातों से दुनियां को अब बरगला नहीं सकता। 12 लोग 15 मिनट तक बिना किसी प्रतिरोध के उस स्थान पर गोलीबारी करते हैं जिसकी सुरक्षा के लिये घोषित प्रयास किये गये हैं। पाकिस्तान ने अपने मित्र श्रीलंका को इस बात के लिये आश्वस्त किया होगा कि वह उसके खिलाडि़यों का बाल बांका भी नहीं होने देगा। जहां तक क्रिकेट टीमों की सुरक्षा की बात है तो वह एशियाई देशों में इस कदर की जाती है कि बंदूक लेकर तो दूर उसके खिलाडि़यों तक आटोग्राफ लेने वाले प्रशंसक भी नहीं पहुंच पाते। श्रीलंका की सरकार इस समय जरूर अपने आपको शर्मनाक स्थिति में अनुभव कर रही होगी क्योंकि भारत का दौरा टलने से पाकिस्तान के कंगाल हो रहे क्रिकेट बोर्ड को बचाने के लिये उसने कथित मैत्री निभाने के लिये वहां का दौरा करने का निश्चय किया। श्रीलंका के लोग जरूर वहां की सरकार से पाकिस्तान पर भरोसा करने की वजह पूछना चाहेंगे?
पाकिस्तान एक अव्यवस्थित देश हो चुका है। उसके पांच पुलिस कर्मियों की लाशें सड़कों पर बिछाकर जिस तरह 12 आंतकी उस बस पर 12 मिनट तक गोलीबार करते रहे जिसमें श्रीलंका क्रिकेट टीम के सदस्य सवार थे। ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी फिल्म की शुटिंग चल रही है। एक भी अपराधी न तो मारा गया न ही पकड़ा गया। वहां मुठभेड़ नहीं हुई बस हमला होता रहा। पाकिस्तान का सभ्रांत समाज भी अपना विवेक खोता जा रहा है क्योंकि जिस तरह बिना किसी प्रमाण के भारत पर वहां की सरकार आरोप लगा रही है उस पर उसका यकीन करना यही दर्शाता है। एक बात याद रखने की है कि भारत ने पूरी तरह से मुंबई हमले के प्रमाण जुटाये और फिर पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा किया। दूनियां ने एसे ही यकीन नहीं किया। अमेरिका की एफ.बी.आई. ने कसाब के अलावा उस महिला से भी पूछताछ की जिसने आतंकियों को नाव से उतरते हुए देखा था। भारत की नीयत साफ थी इसलिये से नहीं रोका। एफ.बी.आई. लाहौर हमले की जांच में हाथ शायद ही डाले क्योंकि एक तो वहां कोई अमेरिकी नहीं मरा दूसरा जांच करने पर जब उसके सामने असफल पाकिस्तान का जो चित्र सामने आयेगा उसे वह दुनियां को नहीं बताना चाहेगी। अगर कोई पाकिस्तान में जाकर जांच करेगा तो उसका सबसे पहला सवाल तो यह होगा कि ‘आखिर वह सुरक्षा व्यवस्था कहां थी जो श्रीलंका की क्रिकेट टीम के लिये खासतौर से की गयी थी।’ हो सकता है कि इस जांच में सुरक्षा में लगे लोगों की शामिल होने की तस्वीर सामने आये। वैसे इस हमले के पीछे एक उद्देश्य तो मुंबई हमले की तस्वीर धुंधली करने का प्रयास ही लगता है। पाकिस्तान इस हमले को दिखाकर अपने आपको आतंक पीडि़त साबित करने का प्रयास जिस तरह कर रहा है उससे तो लगता है कि वहां की सेना ने यह अवसर अपने कुठपुतली सरकार को उपलब्ध कराया है। इसमें भी वह सफल नहीं होंगे क्योंकि मुंबई हमले का मामला इससे परिदृश्य में नहीं जा सकता क्योंकि उसमें 183 बेकसूर जानें गयीं थीं। लाहौर हमले में पाकिस्तान के पांच सुरक्षाकर्मी शहीद हुए पर उन पर शायद ही दुनियां इतना गौर करें। उल्टे लोग पूछेंगे कि बाकी लोग कहां थे? यकीनन पाकिस्तान के रणनीतिकारों के पास इसका कोई जवाब नहीं होगा। एक-दो दिन में इस घटना की चर्चा थम जायेगी और फिर पाकिस्तान को मुंबई हमले के मामले का सामना करना ही होगा।
.......................................
लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकाएं भी हैं। वह अवश्य पढ़ें।
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान-पत्रिका
4.अनंत शब्दयोग
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
1 comment:
दीपक भाई सारगर्भित आलेख । अच्छी बातें लाये आप सामने। पाकिस्तान की आतंकी डगर अब आसान न होगी । विश्व परिदृश्य में पाकिस्तान की
थू-थू हुई है और इसका सबसे बड़ा घाटा आर्थिक होगा । जिससे किसी भी देश की नींव मजबूत होती है । जब सरकार ही नहीं चल पा रही है , तो वह दूसरों को क्या सहारा देगी। मुंबई हमलों से वह अपना पीछा नहीं छुड़ा सकती । हां ये बात जरूर है कि ध्यान भटका सकती है ।
Post a Comment