Sunday, March 01, 2009

धर्मात्मा होने का प्रमाण पत्र-हास्य व्यंग्य कविताएँ

रोगियों के लिये निशुल्क चिकित्सा शिविर
बहुत प्रचार कर उन्होंने लगाया
पंजीयन के लिये बस
पचास रुपये का नियम बनाया
खूब आये मरीज
इलाज में बाजार से खरीदने के लिये
एक पर्चा सभी डाक्टर ने थमाया
इस तरह अपने लिये उन्होंने
अपने धर्मात्मा होने का प्रमाण पत्र जुटाया
...........................................
ऊपर कमाई करने वालों ने
अपने लेने और देने के दामों को बढ़ाया
इसलिये भ्रष्टाचार विरोधी
पखवाड़े में कोई मामला सामने नहंीं आया
धर्मात्मा हो गये हैं सभी जगह
लोगों ने अपने को समझाया

.........................
लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकाएं भी हैं। वह अवश्य पढ़ें।
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान-पत्रिका
4.अनंत शब्दयोग
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप

1 comment:

Shikha Deepak said...

ऐसे धर्मात्मा आजकल थोक के भाव मिलते हैं। इनकी आत्मा और धर्म क्या कहें ........................

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

लोकप्रिय पत्रिकाएँ

विशिष्ट पत्रिकाएँ