Thursday, April 23, 2009

हवा की पहचान-हिंदी शायरी

रेत से भरा हो या पानी से

सागर में लहरें उठाये बगैर

हवा कहर नहीं बरपा सकती.

न जलते होते जिंदगी के चिराग

तो उनको बुझाकर

बिखेरते हुए अँधेरा

अपनी ताकत कैसे दिखाती

नहीं तपता सूरज तो

पानी आकाश से कैसे बरसाती

जिंदगी की सांसों को बहाती हैं इसलिए हवा

कि पत्थरों के आसरे वह

अपनी पहचान बना नहीं सकती..

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