Wednesday, September 24, 2008

इंसान का वहम-हिन्दी शायरी


हर शय की जिन्दगी की

कुछ कुछ न होती है मियाद

उसके बाद रह जाती है

बस जमाने में उसकी याद

फिर भी इंसान हमेशा

अपने बने रहने का रहता हैं गुमान

नहीं उसे अगले पल की सांस का अनुमान

बन जाता हैं अपने खुद ही भगवान

इसी वहम में गुजार देता हैं जिन्दगी कि

नहीं चलेगी यह दुनिया उसके जाने के बाद
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