Monday, September 22, 2008

चालाकियों से ही राज्य चलता है-हास्य व्यंग्य कविता

शेर से उसके बच्चे ने पूछा
"हम राजा लोग इस जंगल में
चालाक लोमड़ को ही क्यों
मंत्री बनाते
जो सिवाय पेंतरेबाजी के
अलावा कुछ नहीं जानता
हमारे और अपने भले के
अलावा और कोई काम नहीं मानता
बाकी जनता पर तो बस अपनी अकड़ तानता''

शेर ने कहा
''राज्य चालाकियों से चलते हैं
भले से लोग भी कहाँ डरते हैं
जिन्दगी तो चलती है भगवन भरोसे
राजा का तो बस नाम है
मुसीबत में जनता उसे ही कोसे
इसलिए बचाव के लिए अपनी ताकत के अलावा
किसी चालाक का सहारा भी चाहिए
हाथी की अक्ल को कुंद कर उसे बैल बना दे
ऐसा कोई नारा चाहिए
लोमड़ करता है यही
हमारे लिए वही है सही
कमजोर जनता क्या, ताक़तवर होते हुए मैं भी उसे ही मानता
इसलिए उसकी हर बात पर लगा देता हूँ अंगूठा
पीढ़ियों से चला आ रहा है रिवाज़
इससे अधिक तो में भी नहीं जानता

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