बहादुरी में जीरो
पर्दे पर बडों-बडों की करते छुट्टी
लोगों को पिलाते बहादुरी की घुट्टी
पर पर्दे के पीछे छोटे विलेन भी
अपने मुताबिक उनको नचवाते
चाहे जहाँ चाहे जैसा
नृत्य और गीत गंवाते
उनके इशारे ऐसे होते की
साइड रोल में आ जाता हीरो
जो पूछो कोई सवाल तो
परदे पर मजबूरों और गरीबों के
लिए जोर से गरजने वाला
मजबूरी जताता है हीरो
देखने वाले रहें भ्रम में
पर पढ़ने वाले जानते हैं
कौन है पर्दे का कौन है और
कौन है पर्दे के पीछे का हीरो
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छोटे पर्दे पर भी
नजर आते है तमाम विरोधाभासी दृश्य
देखकर हैरान होता है मन
कोई हीरो कहता है 'संतुष्ट नहीं हो जाओ'
कोई संत कहैं'संतोष है सबसे बड़ा धन'
बच्चे ने पूछा अपने दादा से
'आप ही करो हमारी शंका का निवारण
राम को माने या देखें रावण
जंग में कूदें या ढूंढें अमन'
दादा ने कहा
'हीरो तो पैसा लेकर बोलता है
संत सच्चा है तो ग्रंथों से
रहस्य खोलता है
झूठा है तो बस ज्ञान को भी
दान की तराजू में तौलता है
इस रंग बदलती दुनिया में
सब रंग देखो दृष्टा बनकर
तो दिल और दिमाग में रहेगा अमन
नीयत में हो तो जिन्दगी में खिलेगा
सच का चमन
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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
1 comment:
दिपावली की शूभकामनाऎं!!
शूभ दिपावली!!
- कुन्नू सिंह
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