Saturday, February 06, 2010

बखान-हास्य कविता (bakhan-hasya kavita)

सचिव ने कहा

समाज सेवक से कहा

‘आ गया है जमकर चंदा

चलेगा अपना जोरदार धंधा

अपने हिस्से का सही अंदाज बतायें

तो शुरु करें अब गरीबों के नाम पर कल्यान।’

समाज सेवक पहले चौंके

फिर बोले-

‘अरे, क्या कहते हो,

भला, क्यों जज़्बात में बहते हो,

अभी तक नब्बे फीसदी था

अब सौ फीसदी कर लो,

अपने ही खातों में भर लो,

कागजी खाना पूरी करना,

प्रचार के लिये कुछ रकम भरना,

फिर शुरु करो अपने काम का बखान।



कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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