खबरची को किया उसके गुरु ने फोन
और बहुत दिन से न मिलने का दिया ताना
तब वह बोला
‘गुरुजी क्या बताऊं
खबरों की दुनियां हो गयी है जंग का मैदान
पिछ़ड जाओ एक दिन तो
मिट्टी में मिल जाती है
बरसों से कमाई अपनी शान,
पहले क्रिकेट में जीत पर लिखना था,
क्योंकि देशभक्त दिखना था,
फिर आ गया एक फिल्म का विवाद,
अभिव्यक्ति का समर्थक दिखना था निर्विवाद
अब वह भी निपट गया है
इसलिये अब कल मिलने आऊंगा
आपका ख्याल अब आ रहा है।’
गुरुजी बोले
‘ठीक है,
फिर एक सप्ताह बाद आना
अभी तुम्हें प्रेम दिवस पर लिखना है,
इंसानों जैसा दिखना है,
क्योंकि उस पर खड़ा होगा विवाद,
तुम्हें आजादी का पक्षधर दिखना है निर्विवाद,
दो दिन में वैलंटाईन डे आ रहा है।’
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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3 years ago
1 comment:
Waah! Bahut Khub.... :)
Saadar
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
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