क्लेशी पात्र सजाये जाते
उसी पर बने नाटक
सामाजिक श्रेणी के कहलाते
सच है समाज के नाम पर
लोग भी खुशी कहां पाते।
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जिनकी बेइज्जती
सरेआम नहीं की जाती
बड़े खानदान की छबि उनकी बन जाती।
फिर भी बड़े खानदान पर
यकीन नहीं करना
उनकी बेईमानी भी
ईमानदारी की श्रेणी में आती।
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2.दीपक भारतदीप का चिंतन
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4.अनंत शब्दयोग
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
3 comments:
दीपकजी आपकी व्यंगात्मक रचना सच के बहुत करीब हैं बधाई
बढिया!
कम शब्दों में गहरी चोट। वाह।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
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