सरकार और साहुकारों ने
इतने वर्षों से बहुत दान किया है
कि इस देश से पीढ़ियों तक
गरीबी मिट जाती।
अगर कमबख्त
यह कमीशन की रीति
दान बांटने वालों की नीति न बन जाती।
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नया बनाने के लिये
पुराना समाज टुकड़े टुकड़े
किये जा रहे हैं।
कुछ नया नहीं बन पा रहा है
इसलिये हर टुकड़े को समाज बता रहे हैं।
इतने वर्षों से बहुत दान किया है
कि इस देश से पीढ़ियों तक
गरीबी मिट जाती।
अगर कमबख्त
यह कमीशन की रीति
दान बांटने वालों की नीति न बन जाती।
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नया बनाने के लिये
पुराना समाज टुकड़े टुकड़े
किये जा रहे हैं।
कुछ नया नहीं बन पा रहा है
इसलिये हर टुकड़े को समाज बता रहे हैं।
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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1 comment:
सटीक चित्रण।
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जिसपर हमको है नाज़, उसका जन्मदिवस है आज।
कोमा में पडी़ बलात्कार पीडिता को चाहिए मृत्यु का अधिकार।
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