पत्थर के बुतों को तोड़कर
किताबों में शब्दों के झुंड जोड़कर
अपनी छड़ी के सहारे
पूरी दुनियां में
अमन और प्यार का पैगाम
कुछ इंसानों ने सुनाया।
मां के पेट से पैदा हुए सभी
पर कुछ लोग ऐसे जताते हैं
जैसे धरती ने उनको बुलाया।
अपने लिखे शब्दों को
सर्वशक्तिमान का बताते
आम इंसान होकर उसका दूत जताते
आलोचना करने पर सजा
बिना सोचे हां करने पर ही आया उनको मजा
खूनी इतिहासों में
सर्वशक्तिमान के लफ्ज ढूंढने वालों!
उसने सभी को एक जैसा बनाया
न सुनो उनकी
जिन्होंने खुद को खास कहकर
दुनियां के गुरु होने के अहसास को भुनाया।
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दूसरे के ईमान पर किया
हथियार लेकर हमला।
फिर बनाया अपने ईमान का गमला।
अच्छी बाते कह गये
पर नीयत हमेशा शक में रही
झूठ पर लगी ताकत के सहारे मोहर
गर्दन कटी उसकी, जिसने सच बात कही
ईमान परस्त होना अच्छा है
पर बेईमान हैं वह लोग जो
उसको बढ़ाने के लिये जुटाते अमला।
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लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकाएं भी हैं। वह अवश्य पढ़ें।
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान-पत्रिका
4.अनंत शब्दयोग
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
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