Monday, August 31, 2009

गमों के शेर-हिंदी कविता (gamon ke sher-hindi sahityak kavita)

बेजान चीजों के इश्क ने
अपने ही रिश्तों में गैर का अहसास
घोल दिया है।
किसी से दिल लगाना बेकार लगता है
दोस्ती को मतलब से तोल दिया है।
हर तरफ चलती है मोहब्बत की बात
आती नहीं कभी चाहने की रात
सुबह से शाम तक
तन्हा गुजारता इंसान
तड़ता है अमन के पलों के लिये
जिसने शायरों के लिये
गमों के शेर लिखकर
वाह वाही लूटने का रास्ता खोल दिया है।

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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप

1 comment:

ओम आर्य said...

वाह वाह अतिसुन्दर

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