Sunday, April 19, 2015

बहुत कम कर दी है-हिन्दी कविता(bahut kam kar dee hai-hindi poem)


विद्युतीय उपकरणों ने
इंसानों की दिमागी ताकत
बहुत कम कर दी है।

ख्वाहिशों और चाहतों ने
मोहब्बत की जगह
बहुत कम कर दी है।

कहें दीपक बापू मुरझायें दिमाग
परायों के अहसान
क्या चुकायेंगे
अपने रिश्तों की याद
बहुत कम कर दी है।
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लेखक और कवि-दीपक राज कुकरेजा "भारतदीप"
ग्वालियर, मध्यप्रदेश 
Writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior, Madhya pradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’ग्वालियर
jpoet, Writer and editor-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
 
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