कुछ खबरची
सत्ता की दलाली करते
पाये गये,
सफाई में
उन्होंने खबर लाने के लिये
अपनी जुगाड़ का बहाना बनाया।
सच है
आजकल सारे काम
नकाब ओढ़कर ही किये जाते हैं,
भलाई के काम भी
दलाली की रकम जोड़कर किये जाते हैं,
ज़माने के दोगले चरित्र की बात सुनते थे
अब खैरख्वाहों ने भी
दो चेहरों में अपना रंग जमाया।
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किसने कहा कलमकार
कभी दलाल नहीं होते,
सारे दलाल कलम से लिखी
अपनी बही साथ रखकर ही सोते।
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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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